Depository Reciepts:- ये एक प्रकार से सिक्योरिटी होती है। जिन्हे भारत से बाहर एक डिपोजिटरी बैंक किसी भारतीय कंपनी की तरफ से जारी करता है । निगोशिएबल सिक्योरिटी होती है यानी को शेयर या बोंड को खरीदा या बेचा का सकता है । अमेरिका सिंगापुर लगजंबर्ग, लंदन आदि जगहों पर शेयर बाजार में इनकी खरीद बिक्री की जाती है। Americans Reciepts:- किसी विदेशी सिक्योरिटी के बदले में अमेरिका मे जारी किया जाता है इसलिए इसे अमेरिकन डिपोजिटरी रसीद कहते है। example:- इंडियन कंपनी को अधिक पूंजी की आवश्यकता है और वो विदेश से पूंजी इकट्ठा करना चाहता है वोह ADR जारी करता है उसके बाद वोह डोमेस्टिक कस्टोडियन को सूचना देता है। डोमेस्टिक कस्टोडियन वोह डिपोजिटरी बैंक को सूचना देगा ओर डिपोजिटरी बैंक निवेशक को उसके बाद निवेशक वोह ADR को खरीद सकता है उसके लिए वोह डिपोजिटरी रसीद जारी करता है। GDR:- ग्लोबल डिपोजिटरी रसीद ! Exampl e:- इंडियन कंपनी को अलग अलग देश से पूंजी इकट्ठा करना है उसके वोह GDR जारी करती है जिससे निवेशक के लिए FCCB( सामान्य शेयर फॉरेन करेंसी कन्वर्टिबल बोंड ) के जरिए वोह निवेशक उस इंडियन कंपनी के शेयर खरीद सकता है। अक्सर इंडियन कंपनी युरो जुटाने के लिए यूरोपियन डिपोजिटरी रसीद जारी करती है। IDR:- इंडियन डिपोजिटरी रसीद! Example:- अब विदेशी कंपनी को इंडियन कंपनी से पूंजी चाइए उसके लिए वो IDR जारी करती है रुपया में। इसके लिए उन्हें सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया में पहले अपना पंजीकरण करना पड़ता है उसके बाद ही वोह उस इंडियन कंपनी से अपना पूंजी इकट्ठा कर सकती है जिस इंडियन कंपनी से उन्हें पूंजी चाइए।ADR/ GDR इंडियन कंपनी जारी करती है उसके लिए पहले उन्हें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में सूचना देनी होती है इसी प्रकार से ADR/GDR/IDR काम करता है। मुझे आशा है कि आपको समझ आया हो।☺️☺️ धन्यवाद।।
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